सूर्य नमस्कार
• सूर्य नमस्कार क्या है।
युवा स्त्रियों को एक लाभ होता है कि वे चंद्र चक्रों के भी तालमेल में होती हैं। यह एक शानदार संभावना है कि आपका शरीर सौर और चंद्र दोनों चक्रों से जुड़ा हुआ है। कुदरत ने एक स्त्री को यह सुविधा दी है क्योंकि उसे मानव जाति को बढ़ाने की अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसलिए, उसे कुछ अतिरिक्त सुविधाएं दी गई हैं। मगर बहुत से लोगों को यह पता नहीं होता कि उस संबंध से उत्पन्न अतिरिक्त ऊर्जा को कैसे संभालें।
सूर्य नमस्कार सभी योगासनों में से सर्वश्रेष्ठ माना गया है। आप चाहे कोई व्ययाम करें या न करें, पर अगर आप दिन में एक बार भी सूर्य नमस्कार कर लेते हैं, तो समझिए आपके सारे रोग एक-एक कर के खत्म हो जाएंगे। यह अकेला अभ्यास ही इंसाना को सम्पूर्ण योग व्यायाम का लाभ पहुंचाने में समर्थ है। सूर्य नमस्कार करने के अनगिनत फायदे हैं। सूर्य नमस्कार करने से मोटापा दूर होता है, मन की एकाग्रता बढ़ती है, शरीर में लचीलापन आता है, पेट ठीक रहता है, सुंदरता में निखार आता है तथा शरीर की खराब मुद्रा भी ठीक हो जाती है। सूर्य नमस्कार करते वक्त 12 आसन किए जाते हैं, जिससे शरीर के हर अंग पर असर पड़ता है। सूर्य नमस्कार को सुबह के समय सूरज की ओर मुख कर के ही करना चाहिये क्योंकि सूरज हमें ऊर्जा प्रदान करता है।
•सूर्य नमस्कार का अभ्यास
(मन्त्रो के साथ)
•1 प्रणामासन
सूर्य नमस्कार की शुरुआत प्रणाम मुद्रा से होती है। इसे करने के लिए सबसे पहले सावधान की मुद्रा में खड़े होकर अपने दोनों हाथों को कंधे के समानांतर उठाते हुए दोनों हथेलियों को ऊपर की ओर ले जाए। हाथों के अगले भाग को एक-दूसरे से चिपका लीजिए फिर हाथों को उसी स्थिति में सामने की ओर लाकर नीचे की ओर गोल घूमते हुए नमस्कार की मुद्रा में खड़े हो जाइए।
▪︎ॐ मित्राय नमः
•2 हस्त उत्तानासन
सांस भरते हुए दोनों हाथों को कानों के पास सटाते हुए ऊपर की ओर स्ट्रेच करें और कमर से पीछे की ओर झुकते हुए भुजाओं और गर्दन को पीछे की ओर झुकाएं। इस आसन के दौरान गहरी और लंबी सांस भरने से फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है। इसके अलावा इसके अभ्यास से हृदय का स्वास्थ्य बरकरार रहता है। पूरा शरीर, फेफड़े, मस्तिष्क अधिक मात्रा में ऑक्सीजन प्राप्त करते हैं।
▪︎ॐ रवये नमः।
•3 पाद हस्तासन
तीसरी अवस्था में सांस को धीरे-धीरे बाहर निकालते हुए आगे की ओर झुकिए। इस आसन में हम अपने दोनों हाथों से अपने पैर के अंगूठे को पकड़ते हैं, और पैर के टखने भी पकड़े जाते हैं। चूंकि हाथों से पैरों को पकड़कर यह आसन किया जाता है इसलिए इसे पदहस्तासन कहा जाता है। यह आसन खड़े होकर किया जाता है।
▪︎ॐ सूर्याय नम:।
•4 अश्व संचालन आसन
इस मुद्रा को करते समय पैर का पंजा खड़ा हुआ रहना चाहिए। इस आसन को करने के लिए हाथों को जमीन पर टिकाकर सांस लेते हुए दाहिने पैर को पीछे की तरफ ले जाइए। उसके बाद सीने को आगे खीचते हुए गर्दन को ऊपर उठाएं। इस आसन के अभ्यास के समय कमर झुके नहीं इसके लिए मेरूदंड सीधा और लम्बवत रखना चाहिए।
▪︎ॐ भानवे नमः।
•5 पर्वतासन
इस मुद्रा को करने के लिए जमीन पर पद्मासन में बैठ जाइए। सांस को धीरे-धीरे बाहर निकालते हुए हुए बाएं पैर को भी पीछे की तरफ ले जाइए। ध्यान रखें कि आपके दोनों पैरों की एड़ियां आपस में मिली हों। नितम्ब को ऊपर उठाइए ताकि सारा शरीर केवल दोनों घुटनों के बल स्थित रहे। शरीर को पीछे की ओर खिंचाव दीजिए और एड़ियों को जमीन पर मिलाकर गर्दन को झुकाइए।
▪︎ॐ खगाय नमः।
•6 अष्टांग नमस्कार
इस स्थिति में सांस लेते हुए शरीर को जमीन के बराबर में साष्टांग दंडवत करें और घुटने, सीने और ठोड़ी को जमीन पर लगा दीजिए। जांघों को थोड़ा ऊपर उठाते हुए सांस को छोडें।
▪︎ॐ पूष्णे नमः।
•7 भुजंगासन
इस स्थिति में धीरे-धीरे सांस को भरते हुए सीने को आगे की ओर खींचते हुए हाथों को सीधा कीजिए। गर्दन को पीछे की ओर ले जाएं ताकी घुटने जमीन को छूते तथा पैरों के पंजे खड़े रहें। इसे भुजंगासन भी कहते हैं।
▪︎ॐ हिरण्यगर्भाय नमः।
•8 पर्वतासन
इस मुद्रा को करने के लिए जमीन पर पद्मासन में बैठ जाइए। सांस को धीरे-धीरे बाहर निकालते हुए हुए बाएं पैर को भी पीछे की तरफ ले जाइए। ध्यान रखें कि आपके दोनों पैरों की एड़ियां आपस में मिली हों। नितम्ब को ऊपर उठाइए ताकि सारा शरीर केवल दोनों घुटनों के बल स्थित रहे। शरीर को पीछे की ओर खिंचाव दीजिए और एड़ियों को जमीन पर मिलाकर गर्दन को झुकाइए।
▪︎ॐ मरीचये नमः।
•9 अश्व संचालन आसन
इस स्थिति में चौथी स्थिति के जैसी मुद्रा बनाएं। सांस को भरते हुए बाएं पैर को पीछे की ओर ले जाएं। छाती को खींचकर आगे की ओर तानें। गर्दन को अधिक पीछे की ओर झुकाएं। टांग तनी हुई सीधी पीछे की ओर खिंचाव और पैर का पंजा खड़ा हुआ। इस स्थिति में कुछ समय रुकें।
▪︎ॐ आदित्याय नम:।
•10 पाद हस्तासन
तीसरी अवस्था में सांस को धीरे-धीरे बाहर निकालते हुए आगे की ओर झुकिए। इस आसन में हम अपने दोनों हाथों से अपने पैर के अंगूठे को पकड़ते हैं, और पैर के टखने भी पकड़े जाते हैं। चूंकि हाथों से पैरों को पकड़कर यह आसन किया जाता है इसलिए इसे पदहस्तासन कहा जाता है। यह आसन खड़े होकर किया जाता है।
▪︎ॐ सवित्रे नमः।
•11 हस्त उत्तानासन
सांस भरते हुए दोनों हाथों को कानों के पास सटाते हुए ऊपर की ओर स्ट्रेच करें और कमर से पीछे की ओर झुकते हुए भुजाओं और गर्दन को पीछे की ओर झुकाएं। इस आसन के दौरान गहरी और लंबी सांस भरने से फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है। इसके अलावा इसके अभ्यास से हृदय का स्वास्थ्य बरकरार रहता है। पूरा शरीर, फेफड़े, मस्तिष्क अधिक मात्रा में ऑक्सीजन प्राप्त करते हैं।
▪︎ॐ अर्काय नमः।
•12 प्रणामासन
सूर्य नमस्कार की शुरुआत प्रणाम मुद्रा से होती है। इसे करने के लिए सबसे पहले सावधान की मुद्रा में खड़े होकर अपने दोनों हाथों को कंधे के समानांतर उठाते हुए दोनों हथेलियों को ऊपर की ओर ले जाए। हाथों के अगले भाग को एक-दूसरे से चिपका लीजिए फिर हाथों को उसी स्थिति में सामने की ओर लाकर नीचे की ओर गोल घूमते हुए नमस्कार की मुद्रा में खड़े हो जाइए।
▪︎ॐ भास्कराय नमः।
• सूर्य नमस्कार से यह है फायदे :
1. लचीलापन आता है- सूर्य नमस्कार करने से शरीर में अकडऩ कम हो जाती है और शरीर में लचक पैदा होने लगती है। यह एक बहुत ही अच्छा व्यायाम है।
2. वजन कम होता है- सूर्य नमस्कार करने से शरीर के हर भाग पर जोर पड़ता है, जिससे वहां की चर्बी धीरे धीरे गलने लगती है। अगर आप मोटे हैं तो सूर्य नमस्कार रोज करें।
3. शारीरिक मुद्रा में सुधार- कई लोग झुक कर चलते व बैठते हैं, जिससे उनके शरीर की पूरी बनावट खराब दिखती है। लेकिन सूर्य नमस्कार करने से अंदर से शारीरिक सुधार होने लगता है। इससे शरीर का सारा दर्द भी खत्म हो जाता है।
4. पाचन क्रिया में सुधार- सूर्य नमस्कार करने से पाचन क्रिया में सुधार होता है। इससे खाना पचाने वाला रस ज्यादा मात्रा में निकलता है और पेट में छुपी गैस बाहर निकल जाती है, जिससे पेट हमेशा हल्का बना रहता है।
5. हड्डियां बनाए मजबूत- सूरज के सामने सूर्य नमस्कार करने से शरीर में विटामिन डी जाता है, जिससे खूब सारा कैल्शियम हड्डियों द्वारा सोख लिया जाता है।
6. तनाव दूर होता है- सूर्य नमस्कार करते वक्त लंबी सांस भरनी चाहिए, जिससे शरीर रिलैक्स हो जाता है। इसे करने से बेचैनी और तनाव दूर होता है तथा दिमाग शांत होता है।
7. पाइल्स और कब्ज दूर होता है- आगे की ओर झुकाव करने से कब्ज और पाइल्स की समस्या नहीं होती। यह करने से पेट की पाचन क्रिया में भी सुधार होता है।
8. अनिंद्रा दूर होती है- लोगों में अनिंद्रा की समस्या आम हो गई है तो ऐसे मे सूर्य नमस्कार जरुर करना चाहिये। इससे शरीर रिलैक्स हो जाता है, जिससे रात को अच्छी नींद आती है।
9. ब्लड सकुर्लेशन बढाए- सूर्य नमस्कार करते वक्त आप अपने शरीर के हर हिस्से का प्रयोग करते हैं जिससे आपके शरीर में खून का दौरा तेज हो जाता है। ऐसा होने पर शरीर में पूरे दिन एनर्जी भरी रहती है।
10. पीरियड्स रेगुलर करे- कई महिलाओं में अनियमित पीरियड्स होते हैं जो कि सूर्य नमस्कार को नियमित रूप से करने से ठीक हो जाता है। यह हार्मोन को भी बैलेंस करता है।
11. खूबसूरत त्वचा बनाए- इसे नियमित रूप से करने पर शरीर में खून का दौरा तेज होने के साथ पेट भी सही रहता है। साथ ही चेहरे से झुर्रियां मिट जाती हैं।
12. मन की एकाग्रता बढ़े- योगा करने से आपका शरीर पूरी तरह से फ्री हो जाता है। इसको करने से वात, पित्त और कफ दोष शांत हो जाते हैं। इससे शरीर स्ट्रेस से दूर अध्यात्म की ओर चला जाता है।
• यह लोग न करें सूर्य नमस्कार...
1. कुछ जानकारों के अनुसार गर्भवती महिला तीसरे महीने के गर्भ के बाद से इसे करना बंद कर दें।
2. हर्निया और उच्च रक्ताचाप के मरीजों को सूर्य नमस्कार नहीं करने की सलाह दी जाती है।
3. पीठ दर्द की समस्या से ग्रस्त लोग सूर्य नमस्कार शुरू करने से पहले उचित सलाह जरूर लें।
4. महिलाएं पीरियड के दौरान सूर्य नमस्कार और अन्य आसन न करें।
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